पंचायतीराज मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन ने धमोत्तर में विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपा

प्रवीण सिंह चुंडावत (BNT)

Jul 24, 2025 - 00:26
 0  27
पंचायतीराज मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन ने धमोत्तर में विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपा

पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन ने धमोत्तर ब्लॉक कार्यालय में एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा। यह आयोजन प्रदेशव्यापी आह्वान के तहत किया गया था। ज्ञापन विकास अधिकारी को सौंपा गया। ज्ञापन सौंपने का नेतृत्व ब्लॉक अध्यक्ष रामबन्द मीणा ने किया। संगठन ने वर्ष 2013 में हुई कनिष्ठ लिपिक भर्ती का उल्लेख किया। भर्ती दस्तावेजों की बार‑बार जांच से कर्मचारियों में असंतोष है। संगठन ने अत्यधिक जांच के कारण परेशान कर्मचारियों की सुनवाई की मांग की। संगठन ने संबंधित आदेश रद्द करने की मांग की। संगठन ने दमनात्मक कार्यवाही वापस लेने का आह्वान किया। संगठन ने प्रदेश अध्यक्ष व प्रतिनिधियों पर कार्यवाही रद्द करने की मांग रखी। मंत्रालयिक कर्मचारियों के कैडर रिव्यू की मांग की गई। स्पष्ट कार्य विभाजन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया। ज्ञापन में अन्य मांगों का भी समावेश था। पहली प्रत मुख्यमंत्री को प्रेषित की गई। संगठन ने आंदोलन की चेतावनी भी दी। मौके पर सभी मंत्रालयिक कर्मचारी उपस्थित थे। कर्मचारियों ने विभाग के प्रति आक्रोश जताया। ज्ञापन में श्रम अधिकारों की रक्षा का आग्रह था। संगठन के नेता ने समाचार एजेंसियों को जानकारी दी। प्रवीण सिंह चुंडावत ने बीएनटी के लिए रिपोर्टर की भूमिका निभाई। घटना का स्थान धमोत्तर, जिला प्रतापगढ़ था। धमोत्तर ब्लॉक ग्रामीण व शहरी प्राथमिक सुविधाओं का केंद्र है। पंचायत राज मंत्रालय के कर्मचारी इस विभाग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संगठन का गठन वर्ष 2005 में हुआ था। संगठन राजस्थान के अन्य जिलों में भी सक्रिय है। संगठन के माध्यम से कर्मचारियों की समस्याएं सुनी जाती हैं। संगठन ने पिछली बार भी आंदोलनों की चेतावनी दी थी। इस बार ज्ञापन में विशेष रूप से 2013 भर्ती का जिक्र था। वर्ष 2013 में लगभग 500 कनिष्ठ लिपिक भर्ती हुई थी। भर्ती प्रक्रिया के दस्तावेज कई बार दोहराए गए। दस्तावेज जांच के दौरान कई त्रुटियां पायी गईं। संगठन का कहना है कि त्रुटियां अनावश्यक हैं। त्रुटियों की पुनः जांच से समय की हानि हो रही है। कर्मचारियों को बार-बार कार्यालय आना पड़ रहा है। यात्रा व्यय में वृद्धि हो रही है। संगठन ने व्यय की भी भरपाई की मांग की। संगठन ने वरिष्ठ अधिकारियों से हस्तक्षेप की अपील की। जिला कलेक्टर को भी ज्ञापन भेजा जाएगा। संगठन ने कहा कि बिना सुनवाई के आंदोलन होगा। आंदोलन का स्वरूप शांतिपूर्ण रहेगा। यदि मांगें नहीं मानी गईं तो उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई। संगठन ने विधिक सहायता की भी मांग की। श्रम आयुक्त कार्यालय को भी प्रमाण-पत्र भेजे जाएंगे। कर्मचारियों ने अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता दिखाई। विभिन्न ब्लॉकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। संगठन ने तेज बारिश के बावजूद प्रदर्शन जारी रखा। बारिश ने लोगों की संख्या में कमी नहीं आने दी। ज्ञापन देने के बाद संगठन ने धन्यवाद ज्ञापन भी दिया। धन्यवाद ज्ञापन में विभिन्न समुदायों का आभार व्यक्त किया गया। संगठन ने पक्ष-विपक्ष की चर्चा से परहेज किया। संगठन ने सभी से शांतिपूर्ण ढंग से सहयोग करने की अपील की। संगठन ने प्रशासन से संवाद स्थापित करने की मांग की। संवाद विफल होने पर अन्य कदम उठाए जाएंगे। संगठन ने मीडिया से निष्पक्ष रिपोर्टिंग की अपील की। मीडिया ने भी व्यापक कवरेज किया। बीएनटी ने इस घटना को प्रमुखता से दिखाया। प्रतापगढ़ के अन्य मीडिया संस्थानों ने भी रिपोर्ट तैयार की। घटना का लाइव कवरेज सोशल मीडिया पर भी हुआ। सोशल मीडिया पर हैशटैग #कार्य_विभाजन_रिव्यू ट्रेंड कर रहा था। संगठन ने सोशल मीडिया प्रबंधक को धन्यवाद कहा। सोशल मीडिया प्रबंधक ने तत्काल प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया पोस्ट में आंदोलन की समय-सारिणी भी डाली गई। पोस्ट पर कर्मचारियों का उत्साह साफ दिखाई दिया। संगठन ने युवा कर्मचारियों को भी जोड़ने की बात कही। युवा कर्मचारियों ने बैनर और पोस्टर्स बनाए। पोस्टर्स में मुख्य मांगें अंकित थीं। पोस्टर्स में भर्ती प्रक्रिया जाँच के चित्र भी थे। चित्रों ने संवाद को अधिक प्रभावी बनाया। संगठन ने एक याचिका भी ऑनलाइन जारी की। याचिका में हजारों कर्मचारियों ने हस्ताक्षर किए। याचिका मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी गई। मुख्यमंत्री समर्थकों ने भी हस्ताक्षर किए। याचिका में समय-सीमा में कार्रवाई की मांग थी। समय-सीमा 15 दिनों की बताई गई थी। यदि कार्रवाई नहीं, तो अगली बैठक बुलाई जाएगी। अगली बैठक का समय और स्थान तय हो चुका है। बैठक में सभी ब्लॉक अध्यक्ष शामिल होंगे। बैठक में आंदोलन की रणनीति तय होगी। रणनीति में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शामिल है। सरकार को ज्ञापन सौंपने की दूसरी कड़ी भी रहेगी। ज्ञापन सौंपने के दौरान पुलिस की निगरानी थी। पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दी। पुलिस ने किसी प्रकार का दमन नहीं किया। पुलिस-प्रशासन ने सहयोग का आश्वासन दिया। प्रशासन ने जल्द सुनवाई का वादा किया।