मध्यस्थता केन्द्र में वर्षों पुराने वैवाहिक विवाद का हुआ सुखद समाधान – पति-पत्नी ने मिलाया हाथ, साथ रहने का लिया संकल्प

स्थान रिपोर्टिंग: सिविल कोर्ट, प्रतापगढ़

Jul 31, 2025 - 17:57
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मध्यस्थता केन्द्र में वर्षों पुराने वैवाहिक विवाद का हुआ सुखद समाधान – पति-पत्नी ने मिलाया हाथ, साथ रहने का लिया संकल्प

प्रतापगढ़:
जनपद प्रतापगढ़ के सिविल कोर्ट परिसर स्थित मध्यस्थता केन्द्र (मीडिएशन सेंटर) एक बार फिर आपसी मतभेदों को संवाद और समझदारी से सुलझाने का सशक्त उदाहरण बना। वर्षों से चल रहे एक वैवाहिक विवाद को आज आपसी सहमति एवं सुलह से समाप्त किया गया। जहां पति-पत्नी ने न केवल पुराने गिले-शिकवे भुलाए, बल्कि साथ जीने की एक नई शुरुआत भी की।
यह समाधान राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के निर्देशानुसार चल रहे मध्यस्थता अभियान के अंतर्गत हुआ, जिसे अपर जिला जज/सचिव – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री सुमित पंवार के कुशल निर्देशन में सम्पन्न कराया गया।

🏛️ वर्षों पुराना विवाद, आज खत्म हुआ सौहार्द से
मामला था सुमन सरोज और पुष्पेंद्र सरोज का, जिनका विवाह वर्ष 2021 में हुआ था। कुछ समय पश्चात ही दोनों के बीच वैचारिक असहमति, मतभेद, पारिवारिक टकराव और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया। हालात इस कदर बिगड़े कि दहेज उत्पीड़न संबंधित एक विधिक मामला न्यायालय में विचाराधीन हो गया।
इस मामले को मध्यस्थता केन्द्र में भेजा गया, जहां अधिवक्ता एवं अनुभवी मध्यस्थ श्री विश्वनाथ प्रसाद त्रिपाठी द्वारा दोनों पक्षों को संयम, संवाद और समझदारी के साथ समाधान की ओर अग्रसर किया गया।

🤝 मीडिएशन का असर – टकराव नहीं, समझौता बना समाधान
मध्यस्थता केन्द्र की कार्यवाही के दौरान दोनों पक्षों की बातचीत कराई गई। वकीलों की मौजूदगी में दोनों को वैवाहिक जीवन के महत्व, सामाजिक दृष्टिकोण, बच्चों के भविष्य और रिश्तों की मूल भावना से अवगत कराया गया। इस संवाद के क्रम में दोनों पक्षों ने अपने पुराने विवादों को आपसी सहमति से समाप्त करने और पुनः साथ रहने का निर्णय लिया।
अंततः पत्नी सुमन सरोज, पति पुष्पेंद्र सरोज के साथ अपनी ससुराल पुनः लौट गईं, जो इस पूरी कार्यवाही का सबसे सकारात्मक और भावनात्मक पल रहा।

🌟 न्यायिक संवेदनशीलता और पारिवारिक मूल्यों की जीत
इस अवसर पर अपर जिला जज एवं सचिव सुमित पंवार ने इस निर्णय पर प्रसन्नता जताई और दंपत्ति को शुभकामनाएं एवं उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि:
"मध्यस्थता अभियान का मुख्य उद्देश्य न्याय से पूर्व संवाद को मौका देना है। यदि पक्षकार अपनी समस्या को आपसी बातचीत से सुलझा सकें तो इससे न्यायिक व्यवस्था पर बोझ भी कम होता है और परिवार भी बिखरने से बच जाता है।"
उन्होंने यह भी कहा कि समाज में कई बार छोटे-छोटे मतभेद विकराल रूप ले लेते हैं, परंतु यदि संवाद कायम हो तो कोई भी विवाद शांति और सद्भाव से हल हो सकता है।
⚖️ कानूनी प्रक्रिया को मानवीय दृष्टिकोण से जोड़ती है मीडिएशन प्रणाली
मीडिएशन प्रणाली भारतीय न्याय व्यवस्था का वह सशक्त विकल्प है, जहां वाद-विवाद की जगह संवाद को प्रमुखता दी जाती है। यह प्रणाली केवल कानूनी मामलों के समाधान तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को बचाने और परिवारों को टूटने से रोकने में भी इसकी बड़ी भूमिका है।
इस प्रकरण में जहां एक ओर परिवार टूटने से बचा, वहीं वर्षों से चल रहा एक न्यायिक मामला भी सौहार्दपूर्वक समाप्त हो गया, जिससे न्यायालय का समय और ऊर्जा दोनों की बचत हुई।

👨‍⚖️ वकीलों की भूमिका भी रही सराहनीय
इस प्रक्रिया में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की भूमिका भी अत्यंत सहयोगपूर्ण और संवेदनशील रही। पत्नी की ओर से अधिवक्ता श्री सुधीर सिंह तथा पति की ओर से अधिवक्ता श्री बृजलाल की उपस्थिति और मार्गदर्शन ने मध्यस्थता प्रक्रिया को सहज और सफल बनाया।
दोनों वकीलों ने विवाद को और अधिक उलझाने के बजाय, अपने मुवक्किलों को समझदारी और सामंजस्य की राह पर चलने को प्रेरित किया — जो वकालत के नैतिक मूल्यों का उत्कृष्ट उदाहरण है।

✅ निष्कर्ष:
यह घटना न केवल प्रतापगढ़ जिले में एक सकारात्मक उदाहरण है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक शिक्षाप्रद संदेश भी है कि हर विवाद का समाधान तलाक या अदालत में लंबी लड़ाई नहीं होता। बातचीत, समझदारी, पारिवारिक मूल्यों और कानूनी सहयोग से हर टकराव को समझौते में बदला जा सकता है।
प्रतापगढ़ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान की यह सफलता साबित करती है कि यदि सभी पक्षों में संवाद और सकारात्मक सोच हो, तो सद्भाव की वापसी संभव है।