राज्यमंत्री के निर्देश पर वृद्ध महिला को मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ, महोबा प्रशासन की संवेदनशील पहल
📍 स्थान: महोबा, उत्तर प्रदेश ✍️ रिपोर्टर: कुलदीप शर्मा

🔹 परिचय:
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में एक बेहद संवेदनशील और प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जिसने यह साबित किया है कि यदि प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय और मानवीय दृष्टिकोण रखते हों, तो सरकार की योजनाएं ज़रूरतमंदों तक समय पर पहुँच सकती हैं।
यह मामला एक वृद्ध महिला — प्यारी बाई — से जुड़ा है, जो वर्षों से जर्जर मकान में पॉलीथिन की छत के नीचे जीवन जी रही थी।
🔹 पूरा घटनाक्रम:
मुख्यालय के नयापुरा नैकाना मुहल्ला में रहने वाली प्यारी बाई, उम्र लगभग 65 वर्ष, घर-घर जाकर झाड़ू-पोंछा करके अपना जीवन यापन करती हैं।
उनका मकान इतना जर्जर था कि बारिश के दिनों में घर में रहना मुश्किल हो जाता था।
मजबूरी में उन्होंने अपने मकान की छत पर मोटी पॉलीथिन बिछा रखी थी, ताकि किसी तरह सिर पर छत बनी रहे।
🔹 पिछला आवेदन और सरकारी अनदेखी:
प्यारी बाई ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के लिए लगभग डेढ़ साल पहले आवेदन किया था।
लेकिन जैसे अक्सर देखा जाता है, फाइलें धूल खाती रहीं, और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते उनका नाम कभी पात्रता सूची में नहीं आ पाया।
इस बीच प्यारी बाई सालों से आशा लगाए बैठी थीं कि सरकार से कुछ मदद मिलेगी।
🔹 मामला कैसे उठा?
कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा यह मामला जलशक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद तक पहुँचाया गया।
राज्यमंत्री ने इस मानवीय मुद्दे को गंभीरता से लिया और महोबा जिला प्रशासन को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
🔹 एसडीएम का त्वरित एक्शन:
सदर एसडीएम शिवध्यान पांडे, जो हाल ही में महोबा में पदस्थ हुए हैं, ने निर्देश मिलते ही इस मामले को प्राथमिकता दी।
उन्होंने बिना देरी किए नगर पालिका परिषद महोबा के अधिशासी अधिकारी (EO) अवधेश कुमार, डूडा विभाग, और अन्य अधिकारियों के साथ मौके पर स्थलीय निरीक्षण किया।
🔹 मौके का मुआयना और निर्णय:
एसडीएम पांडे ने वृद्ध महिला के मकान का निरीक्षण कर जियो टैगिंग करवाई, जिससे डिजिटल रूप से पुष्टि की जा सके कि महिला वास्तव में ज़रूरतमंद है।
मौके पर ही फोटोग्राफिक दस्तावेजीकरण भी किया गया।
इसके बाद डूडा को निर्देशित किया गया कि महिला का नाम पात्रता सूची में तुरंत शामिल किया जाए।
🔹 तात्कालिक राहत - टीन शेड:
एसडीएम ने EO अवधेश कुमार को निर्देशित किया कि जब तक स्थायी आवास योजना की स्वीकृति नहीं मिलती, तब तक टीन शेड लगाकर तुरंत राहत प्रदान की जाए।
निर्देश के अनुसार, अगले ही दिन टीन शेड निर्माण कार्य आरंभ कर दिया गया।
🔹 सरकारी मशीनरी की सक्रियता:
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डूडा विभाग ने उसी दिन आदेश निर्गत किया।
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नगर पालिका की टीम ने साइट मार्किंग की।
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टीन शेड निर्माण के लिए स्थानीय ठेकेदार को आदेश दिया गया।
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सामुदायिक सहभागिता से मजदूर तत्काल जुटाए गए।
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सोशल मीडिया पर भी प्रशासनिक कार्रवाई की तारीफ होने लगी।
🔹 BYTE – शिवध्यान पांडे (एसडीएम महोबा):
“यह केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं था, बल्कि एक मानवीय जिम्मेदारी थी। जब हमें जानकारी मिली, हमने बिना समय गंवाए वृद्धा को तत्काल राहत देने का निर्णय लिया। हमारा उद्देश्य है कि हर जरूरतमंद को योजनाओं का लाभ समय पर मिले।”
🔹 जन प्रतिक्रिया:
स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक कार्रवाई की जमकर सराहना की।
एक पड़ोसी ने कहा:
“हमने पहली बार देखा कि कोई अधिकारी स्वयं वृद्ध महिला के घर आया और तुरंत राहत दिलाई।”
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस प्रयास को ‘प्रशासनिक संवेदनशीलता की मिसाल’ बताया।
🔹 प्यारी बाई की प्रतिक्रिया:
जब टीन शेड का निर्माण शुरू हुआ, तो उनकी आँखों में आँसू थे।
उन्होंने कहा:
“मैंने सोचा था कि अब ये सरकार मेरे लिए कुछ नहीं करेगी। पर आज मैं खुश हूं कि भगवान ने मेरी सुन ली।”
🔹 सरकारी योजनाओं की हकीकत:
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी स्कीमें तभी सफल हो सकती हैं जब अधिकारी और कर्मचारी संवेदनशील और निष्पक्ष हों।
🔹 मुख्य बिंदु (Key Highlights):
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वृद्ध महिला 1.5 साल से कर रही थी आवेदन का इंतजार
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पॉलीथिन की छत के नीचे कर रही थी जीवन-यापन
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जलशक्ति राज्यमंत्री के निर्देश पर हुआ एक्शन
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एसडीएम और EO ने मौके पर जाकर किया निरीक्षण
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पात्रता सूची में नाम शामिल कर आदेश जारी
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तत्काल टीन शेड निर्माण कार्य प्रारंभ
🔹 वृहद संदर्भ में संदेश:
यह घटना सिर्फ एक महिला को राहत देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा संदेश है:
"यदि अधिकारी संवेदनशील हों तो योजनाएं सिर्फ कागजों में नहीं, ज़मीन पर उतरती हैं।"
🔹 फॉलोअप:
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अगले हफ्ते डूडा विभाग द्वारा स्थायी आवास आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
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टीन शेड निर्माण के बाद बिजली और पानी की व्यवस्था पर कार्य होगा।
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सामाजिक संगठनों ने वृद्ध महिला के लिए सामान्य दैनिक ज़रूरतों की पूर्ति हेतु सहायता देने की बात कही है।
🧾 निष्कर्ष:
राजनीतिक इच्छा शक्ति, मानवीय दृष्टिकोण और प्रशासनिक तत्परता मिल जाए तो व्यवस्था न केवल जवाबदेह बनती है बल्कि ज़रूरतमंदों की तकदीर भी बदल सकती है।
महोबा प्रशासन का यह कार्य आने वाले समय में एक प्रेरणा बनेगा।
📌 रिपोर्ट: कुलदीप शर्मा
📍 महोबा, उत्तर प्रदेश